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Ratribhojan tyage badhte jaye aage

विज्ञान-धर्म, निश्चय-व्यवहार, द्रव्य-भाव, ज्ञान-क्रिया इन सभी का अनुठा-मीठा सम्नवय कोष है भगवान महावीर के आगम । नरक गति का द्वार रूप दुर्गुणों का भण्डार रात्रि भोजन नामक दोष, को दुर करने वाला, प्रमाद की आंखें खोलने वाला यह ग्रन्थ।
Language title : रात्रिभोजन त्यागे बढते जाए आगे
Category : Books
Sub Category : Self-Help (Jainism)
Sect : Jainism
Language : Hindi
No. of Pages : 60

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