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Panchlingi Prakaran Part-2

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खरतर बिरूद धारक आचार्य जिनेश्वरसूरि कृत,मोक्ष के मुल उपाय सम्यकदर्शन के शम, संवेग आदि पाच लिंगो यानी लक्षणों पर 101 प्राकृत गाथाऔं में रचित अनुठे ग्रंथ पर आठ भागों में शोध प्रबंध।आचार्य जिनेश्वरसूरि के पाट पर संवेगरंगशालाकार जिनचंद्र सूरि जिनके पाट पर नवांगी वृर्तीकार अभयदेवसूरि इस प्रकार पाट परंपरा चली। प्रस्तुत भाग में सम्यकदर्शन कि परिभाषा, स्वरूप, विविध आयाम, शुद्धि और विविध आगमों में सम्यकदर्शन का क्या स्वरूप बताया गया है इस विषय पर गहन चिंतन किया गया है।
Language title : पंचलिंगी प्रकरण भाग २
Category : Books
Sub Category : Tattvagyan

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superb