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Panchlingi Prakaran Part-3

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खरतर बिरूद धारक आचार्य जिनेश्वरसूरि कृत,मोक्ष के मुल उपाय सम्यकदर्शन के शम, संवेग आदि पाच लिंगो यानी लक्षणों पर 101 प्राकृत गाथाऔं में रचित अनुठे ग्रंथ पर आठ भागों में शोध प्रबंध।आचार्य जिनेश्वरसूरि के पाट पर संवेगरंगशालाकार जिनचंद्र सूरि जिनके पाट पर नवांगी वृर्तीकार अभयदेवसूरि इस प्रकार खरतरगच्छ पाट परंपरा चली। प्रस्तुत भाग मे विविध आगमों तथा आगमेतर साहित्य मे सम्यकत्व के स्वरूप का जो विवेचन मिलता है, उसकी विस्तारपुर्वक समजाया गया है। अनेक जैनेतर साहित्य जैसे गीता, योगसाहित्य, बौद्ध साहित्य, वैदिक तथा इस्लाम साहित्य में सम्यकत्व के स्वरूप पर प्रकाश डाला गया है।
Language title : पंचलिंगी प्रकरण भाग ३
Category : Books
Sub Category : Tattvagyan

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