खरतर बिरूद धारक आचार्य जिनेश्वरसूरि कृत,मोक्ष के मुल उपाय सम्यकदर्शन के शम, संवेग आदि पाच लिंगो यानी लक्षणों पर 101 प्राकृत गाथाऔं में रचित अनुठे ग्रंथ पर आठ भागों में शोध प्रबंध।आचार्य जिनेश्वरसूरि के पाट पर संवेगरंगशालाकार जिनचंद्र सूरि जिनके पाट पर नवांगी वृर्तीकार अभयदेवसूरि इस प्रकार खरतरगच्छ पाट परंपरा आगे चली। प्रस्तुत भाग मे जीव अजीव तत्व की समीक्षा की गई है। आस्तिक्य का स्वरूप, पंचमहाभुतवाद का खंडन, क्षणिकवाद, एकात्मवाद, षटद्रव्य का स्वरूप एंव विवेचन भी मिलता है।