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Panchlingi Prakaran Part-8

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खरतर बिरूद धारक आचार्य जिनेश्वरसूरि कृत,मोक्ष के मुल उपाय सम्यकदर्शन के शम, संवेग आदि पाच लिंगो यानी लक्षणों पर 101 प्राकृत गाथाऔं में रचित अनुठे ग्रंथ पर आठ भागों में शोध प्रबंध।आचार्य जिनेश्वरसूरि के पाट पर संवेगरंगशालाकार जिनचंद्र सूरि जिनके पाट पर नवांगी वृर्तीकार अभयदेवसूरि इस प्रकार खरतरगच्छ पाट परंपरा आगे चली। प्रस्तुत खंड में जिनेश्वरसूरि द्वारा रचित मूल सुत्र, उसकी संस्कृत छाया, शब्दार्थ एवं भावार्थ का विवेचन किया गया है। सम्यक दर्शन की शुद्धी एवं निर्मलता के विकास के लिए यह एक अत्यावश्यक ग्रंथ है।
Language title : पंचलिंगी प्रकरण भाग ८
Category : Books
Sub Category : Tattvagyan
Sect : Khartar Gachha
Language : Hindi
No. of Pages : 180

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