जैन आगमो मे ध्यान आसन आदि की विपुल सामग्री है। दीर्घकाल से इच्छा थी कि “प्रेक्षा ध्यान के सदर्भ मे "शास्त्रीय आधार" को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत किया जाये। आचार्यश्री महाप्रज्ञ के ध्यान साहित्य से प्रचुर सकेत एव आलेख प्राप्त हुए उन्ही सोपानो से चढ़कर "शास्त्रीय आधार' को किचित व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। उस सिन्धु-सम सामग्री का यहा विन्दु मात्र ही स्पर्श हो सका है। आशा है विद्वद् जन एव शोधार्थी हेतु अतीत के अनुसधान व भविष्य के निर्माण में यह लघु प्रयास" दिशा-सूचक यत्र का कार्य कर सकेगा।
जीवन में अन्धकार छा रहा था| उन दिनों में उदासी, निराशा और बेचैनी हावी हो रही थी| इस क्षणों में प्रेक्षा ध्यान एवं नमस्कार महामंत्र की साधना का सहयोग हुआ| जीवन में प्रकाश ही प्रकाश हो गया| अन्धकार छट गया| राह स्पष्ट हुई| जीवन की दिशा और दशा बदल गयी| प्रेक्षा ध्यान साधना मेरा जीवन बन गया…………..
There was darkness in life. Sadness, disappointment and restlessness were taking over those days. In these moments, the meditation and goodness of the audience was supported by the meditation of the Mahamantra. The light became light in our life. The darkness disappeared. The road became clear. Life’s direction and condition changed. Observing meditation has become my life……………….