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मेरे दादा thakrshi bhai का इस पुस्तक को लिखने में महत्वपूर्ण योगदान था। पुस्तक में कई जगह उनका नाम है। तब वो करांची रहते थे। मवरे पास उस किताब की मूल प्रति आज भी है।
excellent